लाइन लगाकर खड़े थे कई देश,लेकिन भारत को रूस पर भरोसा,दोस्त से खरीदा इतना तेल

India -Russia Crude Oil Import: भारत और रूस के बीच की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. जब-जब भी भारत को जरूरत पड़ी, रूस उसके साथ खड़ा रहा.वहीं जब भी रूस को विरोध का सामना करना पड़ा भारत ने अपना पक्ष स्पष्टता से रखा. तेल को लेकर दोनों देशों के बीच के

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India -Russia Crude Oil Import: भारत और रूस के बीच की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. जब-जब भी भारत को जरूरत पड़ी, रूस उसके साथ खड़ा रहा.वहीं जब भी रूस को विरोध का सामना करना पड़ा भारत ने अपना पक्ष स्पष्टता से रखा. तेल को लेकर दोनों देशों के बीच के संबंध कई सालों से बने हुए है. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत और रूस की तेल को लेकर दोस्ती न टूटी. सस्ते तेल की बात जब आई तो रूस साथ खड़ा रहा. वहीं भारत ने भी अमेरिका का धमकी के बावजूद उसने रूस से तेल लेना जारी रखा.

रिकॉर्ड स्तर पर रूसी तेल सप्लाई

रियल टाइम एनर्जी कार्गो ट्रैकिंग फर्म वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार जून 2024 में भारत ने रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल खरीदा. भारत के कच्चा तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 42 फीसदी पर पहुंच गया. जबकि मई 2024 में भारत के क्रूड ऑयल इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी 37 फीसदी रही थी. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत का आयात बढ़ता जा रहा है. रूस कई महीनों से न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है, बल्कि जून में तो उसकी अकेले की हिस्सेदारी बाकी के 4 टॉप सप्लायर्स की सम्मलित सप्लाई के बराबर रही.

रूस से बढ़ा आयात , भारत ने बचाई इतनी रकम

भारत और रूस के बीच संबंध जितने मजबूत है, उतना ही मजबूत भारत और रूस के बीच तेल का कारोबार है. अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी होने के बाद से भारत ने रूस से आयात बढ़ा दिया है. रूसी तेल की भारत में आवक फिर से 40 फीसदी के पार हो चुकी है. जहां मिडिल ईस्ट देशों से लेकर अमेरिका तक से भारत का तेल आयात कम हुआ.

भारत ने कितना लिया रूसी तेल

भारत कच्चे तेलों से लिए आयात पर निर्भर है. क्रूड ऑयल के सप्लाई के लिए रूस का दबदबा बरकरार है. जून महीने में रूसी तेल की खरीदारी 42 फीसदी पर पहुंच गई. रूस के अलावा भारत ने इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से भी कच्चा तेल खरीदा है. जिसमें इराक की हिस्सेदारी 16 फीसदी सऊदी अरब की हिस्सेदारी 8 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात की हिस्सेदारी 8 फीसदी, अमेरिका की 7 फीसदी रही.

क्यों रूस बना सबसे बड़ा सप्लायर

खाड़ी देश तेल के सबसे बड़े सप्लायर रहे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर अमेरिका का अगुवाई में पश्चिमी देशों से रूस पर प्रतिबंध लगा दिया. रूस पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए. प्रतिबंध के चलते रूस ने भारी डिस्काउंट के साथ कच्चा तेल बेचना शुरू किया. भारत ने भी इस मौका का फायदा उठाया और रूस से जमकर तेल खरीदा. रूस से तेल खरीदकर भारत ने काफी बचत भी की है.रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में भारत ने रूस से 16.6 लाख बैरल कच्चे तेल की प्रति दिन खरीदा था, बकि एक साल पहले साल 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ 6.51 लाख बैरल प्रति दिन का था. एक साल के भीतर रूस से तेल आवक में 155 फीसदी की जबरदस्त तेजी आई, जिसका फायदा भारत को भी हुआ. छूट पर रूस से तेल खरीदकर बीते साल भारत ने करीब 8 अरब डॉलर बचा लिए.

अमेरिका की भी नहीं मानी बात

रूस से सस्ता तेल खरीद रहे भारत ने अमेरिका की नाराजगी को भी नजरअंदाज कर दिया. भारत से साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर जरूरत के हिसाब से किसी भी देश से तेल की खरीदारी कर सकता है. भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव को नजरअंदाज कर अच्छा मुनाफा कमाया और करीब 8 अरब डॉलर की बचत बीते साल कर ली.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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